हेरंब भाई, "आप" के इस कृत्य (आधी रात को एक अफ्रीकी महिला के घर धावा) की आलोचना ईसा को सलीब पर लटकाने का मामला नहीं है बल्कि आत्मघात से बचने के लिए आगाह करने का है. "आप" के कानून मंत्री का, एक अश्वेत (महज संयोग नहीं माना जा सकता) महिला के घर एक उंमादी भीड़ का साथ धावा बोलने और सार्वजनिक रूप से अफ्रीकी महिलाओं को मूत्र का नमूना देने को मजबूर करने के कृत्य नस्लीय किस्म की फासीवादी कोटि में आते है जो सर्वथा निंदनीय हैं. यही काम जब बजरंगी लंपट करते हैं तो हम उसका विरोध करते है. जनतंत्र और भीड़तंत्र में तथा जनपक्षीय लोकप्रियतावाद और सस्ती(अवसरवादी) लोकप्रियतावाद में में फर्क करने की आवश्यकता है. A teacher must teach by example and a leader must lead by example. दर-असल रंगभेदी नस्लवादी सोच हमारी उपनिवेशवाद और वर्णाश्रम ककी मिली-जुली विरासत है जिसे सायास तोड़ने की आवश्यकता है. नशाखोरी के खिलाफ अभियान का यह तरीका गलत है. उसके लिए जनतांत्रिक जनचेतना अभियान की आवश्यकता है. यदि सरकारी दुकानों पर बिकने वाली शराबखोरी को भी नशाखोरी में शामिल कर लिया जाय तो मध्यवर्ग के लगभग 80 फीसदी आबादी को इस प्रताड़ना के अनुभव से गुजरना पड़ेगा. डर है कि नये सामाजिक न्याय के नये झंडाबरदार, सामाजिक न्याय के पुराने झंडाबरदारों -- लालू-मुलायम-माया-.....--- की ही तरह हाथ में आये सुअवसर को सत्ता के दंभ, सस्ती लोकप्रियता और अंतर्दृष्टि के अभाव में ङाथ में आये सुअवसर को गंवा न दें.
Monday, January 20, 2014
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