Markandey Pandey भारत, पाक, बांग्लादेश। उसके लिए तीनों देशों भारत-नेपाल, भारत-भूटान जैसी सीमाएं एवं संबंध बनें। यूरोप में वीजा-फ्री बॉर्डर पार करते हुए हमेशा यही ख्याल आता था कि ऐसी सीमा भारत-पाक के बीच हो तो विदेशी कर्ज से दबे दोनों भूखे नंगे देश सीमा पर तनाव के चलते जितना धन बर्बाद करते हैं, सोसल सेक्टर में कितने काम कर सकते थे। लेकिन जैसा रघुवीर सहाय ने लिखा है, 'दो पारपत्र उसको जो उड़कर आए, दो पारपत्र उसको जो उड़कर जाए, पैदल को पैदल से मत मिलने दो, वरना दो सरकारों का क्यानहोगा?' या जैसा हबीब जालिब ने लिखा है, 'न मेरा घर है खतरे में, न तेरा घर है खतरे में, वतन को कुछ नहीं खतरा, निजामे ज़र है खतरे में'। लाहोर में बताना पड़ता है कि आप हिंदुस्तानी हैं, शकल से पता नहीं चलता, पता चलने पर न ऑटो वाला आपसे पैसा लेगा, न पान-सिगरेट वाला न ढाबे वाला, कितनी भी जिद करिए। 1980 के दशक की बात है, अब की नहीं कह सकता।
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