Saturday, December 14, 2019

लल्लापुराण 306 (लाला से इंसान बनना)

एक श्रीवास्तव जी ने किसी मुसलमान के लिए कहा कि इसे सुलेमानी कीड़ेकाट रहे हैं मैंने पूछा कि यह कायस्थानी कीड़े सा कुछ होता है क्या? इस पर वे नाराज हो गए, उस पर:

इसमें मेरी इज्जत अफजाई की क्या बात है? किसी मुसलमान के घर पैदा होने वाले को सुलेमानी कीड़ा काटता है तो कायस्थ के घर पैदा होने वाले को कायस्थानी कीड़ा काटता होगा। इवि में प्रोफेसरों में ब्राह्मण-कायस्थ जातीय लॉबियों के चलते दोनों ही जातियों के प्रोफेसर एक दूसरे के विरुद्ध जातीय नीचता के मुहावरों का इस्तेमाल करते थे। पढ़-लिख कर जो जन्म की जीववैज्ञानिक दुर्घटना की अस्मिता से ऊपर नहीं उठ पाता उसमें और अपढ़ जाहिल में कोई फर्क नहीं रह जाता। Don't take it personally. दुर्भाग्य से पढ़े-लिखे जाहिलों का अनुपात अपढ़ों से अधिक है। कुत्तों वगैरह की उपमा उसी जहालत का परिचायक है। कायस्थ से इंसान बनना उतना ही जरूरी है, जितना बाभन से। सादर।

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