Tribhuwan Singh मर्दवादी वैचारिक वर्चस्व के प्ररारंभिक काल में लिखे गये महाभारत के भीष्म पितामह, जवानी में जब देवदत्त थे तो जवान कन्या के प्रति पिता के वासना-जन्य अाकर्षण के सम्मान में अाजीवन ब्रह्मचर्य की भीष्म प्रतिज्ञा के बाद अपने पिता के अभिशप्त पुत्रों के लिये लडकियों के अपहरण का काम करते थेै. बुढ़ापे में, सत्ता की चाकरी का धर्म निभाते हुये, अपने पांडव पौत्रों(सौतेले) की साझा बीबी को कौरव पौत्रों(सौ तेले) द्वारा नंगी किये जाने की नौटेकी के निर्लज्ज तमाशबीन बन भीषण जनसंहार की भूमिका बनाने के सक्रिय सहयोगी रहे. उनके पांडव पौत्र(सौतेले) नारी को हेय समझने के उनके अहंकार का फायदा उठाते हुये धोखे से उनकी हत्या कर दी, जिन्होने अपने किशोर प्रपौत्र तक की हत्या करवा दी थी. धरती को .असंख्य इंसानों के लहू से सींचने के बाद, मृत्यु शैया पर राजनैतिक नैतिकता का प्रवचन कर रहे थे, अभिमन्यु की मौत के बाद भीष्म के घड़ियाली अांसुंओं की तुलना मोदी जी की लफ्फाजी से की जा सकती है, पीठ पर अंबानी का हाथ होता है अौर दुहाई जनता की देते हैं जिन्हें कंगाल-बदहाल करने के लिये तमाम कंपनियों को देश की नालामी का न्योता दि दिये हैं. लेकिन जिस दिन अंबाली-अंबायें उठायेंगी शस्त्र अौर द्रोण जैसे दुष्ट गुरुओं को अंगूठा देने से इंकार कर उन्हीं पर तान देंगे धनुष, फिर नहीं बचा पायेंगे दोनों (कांग्रेस-भाजपा अाधुनिक कौरव-पांडव) राजघरानों का विनाश अाधुनिक भीष्म (अंबानी) अौर कृष्ण(भागवत) नोटः महाभारत इतिहास नहीं मिथक है.
1.12.2014
1.12.2014
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