नागरिकता कानून का मामला मुस्लिम का नहीं मुल्क का है, संविधान के मूल चरित्र को बचाने का है, जिसे नागपुर गिरोह हिंदू-मुस्लिम नरेटिव की निरंतरता के पाखंड से खंड-खंड करना चाहता है। लेकिन इस बार इनका शातिरपना फेल होता दिखता है। इन्होंने सोचा था नागरिकता अधिनियम के विरुद्ध मुसलमान ही आंदोलित होंगे जिन्हें आसानी से 'ठीक' करके हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण का खेल चालू रहेगा और बेरोजगारी, मंहगाई, गैरबराबरी, आसन्न मंगदी, भुखमरी, अशिक्षा जैसी समाज की मूलभूत समस्याओं से लोगों का ध्यान भटक जाएगा। लेकिन जामिया से शुरू आंदोलन ने व्यापक रूप ग्रहण कर लिया तथा देश भर के कोरोड़ो लोग आंदोलित हो उठे। पुलिस-प्रशासन को तमाम व्यवधानों के बीच आज भी जेएनयू, जामिया, अंबेडकर विवि, दिल्ली विवि के हजारो छात्र तथा नागरिक दिल्ला में मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक मार्च किए। झारखंड में चुनावी सभा में मोदी प्रदर्शनकारियों के कपड़े पहचानकर जहकृर बो रहे थे तो शाह घुसपैठियों को भगाने की दहाड़ के साथ, झारखंड की जनता ने उन्हें ही भगा दिया।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment