Tuesday, December 17, 2019

लल्ला पुराण 312 ( धर्म और परिवार नियोजन)

इसका बड़ा परिवार इसके मुसलमान होने के नाते नहीं शिक्षा और आर्थिक-सामाजिक परिवेश के नाते है। हम 9 भाई बहन थे, इवि के पढ़े लिखे हमारे सीनियर हैं (रिटायर्ड पीसीएस) उनके 5 बच्चे हैं मेरे चचेरे भाई के 6। दिल्ली में मेरे जितने मुसलमान मित्र हैं उनके सभी के 1 या 2 बच्चे हैं। व्यक्तित्व जन्म की जीववैज्ञानिक दुर्घटना से नहीं, आर्थिक स्थिति, शिक्षा और समाजीकरण से तय होता है। उच्च शिक्षा और दर्शन तथा विज्ञान के वृहद् अध्ययन के बाद भी दिमाग में ब्राह्मण-दलित; हिंदू-मुसलमान के दुराग्रह, पूर्वाग्रह बरकरार रहे तो थोड़ा आत्मावलोकन की आवश्यकता होती है। मेरे एक गोतिया हैं मुझसे एक साल बड़े उनके 5 बेटे और 3 बेटियां हैं। मेरे हलवाहे होते थे खेलावन चचा उनकी 6 बेटियां और 4 बेटे थे। आप अपने गांव के हिंदू-मुसलमान परिवारों का एक तुलनात्मक अध्ययन कर सकते हैं। मेरी बात बुरी लगे तो क्षमा कीजिएगा, लेकिन आप ने अपनी सांप्रदायिक सोच से मुझे बहुत निराश किया है, वैसे हमारे बीच पारस्परिक आशावानिता का कोई अनुबंध नहीं हुआ है। सादर शुभाशिष।

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