Thursday, December 12, 2019

लल्लापुराण 304 (गोलवल्कर)

कंप्यूटर बंद हो गया और लंबा कमेंट गायब हो गया। बंच ऑफ वथॉट ही नहीं, गोलवल्कर, दीनजयाल उपाध्याय, नानाजी देशमुख, बाला साहब देवरस के सारे लेखन और छपे भाषण तथा सावरकर का हिंदुत्व पढ़ चुका हूं, आप भी पढ़ लें तो समझ जाएंगे जमातियों की तरह संघी कैसा कुतर्क करते हैं। गोलवल्कर और दीनदयाल उपाध्याय दोनों ही मनुस्मृति को इतिहास की सर्वश्रेष्ठ तथा सबसे अधिक न्यायपूर्ण विधिक आचार संहिता (लॉ बुक्स) मानते हैं। गोलवल्कर हिटर को अनुरणीय मानते हैं तथा वेश्यावृत्ति को भारतीय संस्कृति का प्राचीनतम अंग जिसका निदान इस वृत्ति में शामिल महिलाओं द्वारा पूजा अर्चना है। गोलवल्कर के अनुसार उत्तरी ध्रुव अति प्राचीनकाल में वहां था जिसे आज उड़ीसा और बिहार कहा जाता है। मोदी लगता है उन्ही की प्रेरणा से तक्षशिला को बिहार में स्थापित कर देते हैं। आरएसएस ही नहीं जमाते इस्लामी का भी इफरात कूड़ा पढ़ा हूं। संघी तो शरीफ होते हैं कम लिखते हैं जमाती बहुत, अकेले मौदूदी ही इफरात लिखा है। 1986-87 में सांप्रदायिकता पर अंतरराष्ट्रीय समाजशास्त्र संस्थान की एक छात्रवृत्ति के तहत स्त्री सवाल पर आरएसएस और जमाते इस्लामी के वैचारिक ग्रंथों की तुलनात्मक समीक्षा करना था। वह पेपर पहली बार 1987 में छपा और अंतिम बार 1999 में। ब्लॉग में उसकी लंबी समरी सेव किया हूं. जिसे नीचे कमेंट बॉक्स मेंशेयर कर रहा हूं। संघ और विद्यार्थी परिषद में काम के अनुभव और इस अध्ययन के बदौलत सांप्रदायिकता की मेरी समीक्षा प्र्रामाणिक होती है। वि ऑर आवर नेसनहुड डिफाइन्ड में गोलवल्कर हिंदुओं से अंग्रजी राज के खिलाफ ऊर्जा नष्ट करने की मनाही करते हैंऔर उसे मुसलमानों और कम्युनिस्टों से लड़ने के लिए बचाकर रखने की हिदायत देते हैं। इसी ग्रंथ में वे हिंदुओंसे सेमेटिक लस्ल का संहार कर जर्मन नस्ल की पवित्रता स्थापित करने के हिटलर के कृत्य का अनुकरण करने की भी हिदायत देते हैं। मार्क्स के लेखन का 6 पेज पढ़ने की सलाह आपके ही भले के लिए दियाथा, नहीं पढ़ना चाहते तो आपकी मर्जी। जिसके विचारों की ऐसी-तैसी करना हो, उसको जरूर पढ़ना चाहिए जिससे आलोचना में कुछ प्रामाणिकता हो। मेराउपरोक्त लेख भी बहुत बड़ा नहीं है।

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