Sunday, December 15, 2019

लल्लापुराण 307 (नेहरू-बोस)

Anurag Srivastava मेरी जानकारी बेमिसाल नहीं है यहां-वहां से इकट्ठा करता रहता हूं। कांग्रेस में वामपंथ (कांग्रेस सोसलिस्ट) पर मेरा शोध है।, आईएनए के पक्ष को कमजोर नहीं मजबूत करने के लिए मुकदमे लड़े गए। नेहरू और बोस दोनों कांग्रेस में वामपंथी खेमे के नेता माने जाते थे दोनों ने वाम (कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी) का इस्तेमाल किया, उसमें शरीक नहीं हुए। गांधी की खुली चेतावनी और 'सीतारमैया की हार मेरी हार' की घोषणा के बाद भी बोस भारी बहुमत से सीएसपी (कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी जिसमें अवैध कम्युनिस्ट पार्टी के भी सदस्य शामिल थे) के समर्थन से ही कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जीते। और उसकी मूर्खतापूर्ण तटस्थता से ही कुख्यात (जीबी) पंत प्रस्ताव पारित हो सका जिसके चलते अध्यक्ष गांधी के समर्थन का मोहताज हो गया तथा बोस को अलग होकर फॉर्वर्ड पार्टी का गठन करना पड़ा। कांग्रेस नेताओं में नेहरू बेहतर अंतर्दृष्टि वाले थे।

No comments:

Post a Comment