Thursday, December 12, 2019

लल्ला पुराण 302 (नागरिकता विधेयक)

Shailesh Dwivedi अब आप बात बदल रहे हैं, किसी के जाना चाहने की बात ही नहीं थी, आप ने पाकिस्तान को भारत सरकार की तर्ज पर CAB लाने की सलाह देकर यहां से कुछ (मुसलमानों) को "खुशी खुशी सगुन देकर" विदा करने की बात कर रहे थे। शब्द टोन और कोनोटेसन से अर्थ ग्रहण करते हैं। शिक्षक की समाज में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन वह अपनी भूमिका तभी सही ढंग से निभा सकता है जब वहह 'स्व' से ऊपर उठे। वर्ग विभाजिक समाज में व्यक्तित्व भी विभाजित (स्प्लिट) होता है। हर व्यक्ति में दो भाव होते हैं, 'स्व का स्वार्थ-बोध'तथा 'स्व का परमार्थ (न्याय)- बोध। 'स्व के न्यायबोध ' को 'स्व के स्वार्थबोध' पर तरजीह देने में वास्तविक सुख है तथा इस वास्तनॉविक सुख की अनुभूति को साथ शिक्षक अपनी वास्तविक भूमिका निभा सकता है।

धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही के प्रावधान के बाद संविधान के लेखकों ने अलग से धर्म निरपेक्ष लिखने की जरूरत नहीं समझा था, एक धर्म के खिलाफ भेदभावकर मौजूदा सत्ता प्रतिष्ठान ने संविधान की आत्मा पर आघात कर देशद्रोह का काम किया है और इसके समर्थन में कीर्तन करने वाले भी वही कर रहे हैं। संसद की बहुमत की आड़ में जो काम मौजूदा शासक कर रहे हैं, वही इंदिरा गांधी ने भी संसद कमें बहुमत की आड़ में आपातकाल लागू करके किया था।

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