Markandey Pandey वाम और वाम समूहों की आपकी समझ कहा-सुनी और वाम विरोधी पूर्वाग्रहों पर आधारित है, 43-44 साल पहले मेरी भी ऐसी ही समझ थी। वाम ग्रुप गंभीर विमर्श के ग्रुप होते हैं। मैंने आपको एकाध ग्रुप में जोड़ा था आप शायद जुड़े नहीं, फिर से जोड़ता हूं। मेरा मकसद अंकुर की हिमायत करना नहीं है, वे अपना पक्ष खुद रखनें में सक्षम होंगे क्योंकि मैंने अभी कहा था कि हर अगली पीढ़ी तेजतर होती है, अनुभव में थोड़ा कम भले हो। मुझे लगता है उन्होंने सीनियर पीढ़ी पर नहीं छात्रों की मौजूदा पीढ़ी की समझ को बहकावे जैसी दकियानूसी चीजों से ऊपर बताया है। बाकी हमारे छात्र कम-सेकम उतने समझदार तो हैं ही जितने हम अपने को छात्र के रूप में समझते थे। अगली पीढ़ी इसलिए तेजतर होती है कि उसके एक्सपोजर अपेक्षाकृत ज्यादा व्यापक होते हैं। हम जब तक विंध्याचल नहीं गए थे तो पहाड़ की कल्पना अपने गांव की छोटी सी नगी के कंकडीले बीहड़ों को देखकर ही पहाड़ की कल्पना करते थे तथा हिमालय देखने के पहले विंध्याचल को ही पर्वत का मानक मानते थे।
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