वर्तमान क्या भविष्य भी अतीत में भेजा जा सकता है जब मोदी जी 300-400 सालों के अंतराल को पाटते हुए कबीर-गोरखनाथ-गुरु नानक का विमर्श मैहर में करवा सकते हैं तो 1000 साल पहले एक बिकाऊ लालची पुजारी को सेकुलर क्यों नहीं बनाया जा सकता। वैसे इस शब्द का पहला प्रयोग 1851 में अंग्रेजी चिंतक जॉर्ज जैकब हेल्योक (Helyoake) ने 1851 में किया लेकिन राजनीति, संस्कृति तथा अन्य दुनियावी गतिविधियों की व्याख्या की धर्मशास्त्र से मुक्ति की अवधारणा के रूप में इसका इतिहास नवजागरण काल तक जाता है जिसका विकास प्रबोधन क्रांति के दौरान हुआ। इस हिसाब से इसे 500-600 साल ही पहले अतीत में प्रस्थापित किया गया।
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