आंदोलन में सरकारी घुसपैठिए, आंदोलन कोबदनाम करने के लिए दंगाइयों सा व्यवहार करते हैं। पकड़े गए जितने लोगों को मैं जानता हूं सब गंभीर सामाजिक सरोकार के लोग हैं, पुलिस घरों में घुस कर लोगों को मार रही है, वीडियो में पुलिस तोड़-फोड़ और आगजनी करती, सीने की ऊंचाई पर निशाना लगाकर गोली चलाती दिख रही है। हिचलर की जर्मनी और मुसोलिनी की इटली के अलावा पुस्तकालय में घुसकर पुलिस द्वारा तोड़-फोड़ और पढ़ते बच्चों की पिटाई की खबर और कहीं से नहीं मिलती। बीएचयू के बीए-एमए के छात्रों पर संगीन धाराएं लगाई गयी हैं। सवैधानिक जनतंत्र में जनता के पास बस विरोद प्रदर्शन का ही अधिकार होता है, संवैधानिक फासीवाद में वह भी छीन लिया जाता है।
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