मेरे कुछ मित्र जो अपने जवान होते बच्चों की आजादी नियंत्रित करने के चक्कर में परेशान रहते थे, मैं उनसे पूछता था, "तुम्हारे बाप तुम्हारी आजादी नियंत्रित कर पाए थे?' उनका जवाब होता था वे क्या कर पाते? मैं मउन्हें कहता था कि नियंत्रण की वांछनीयता पर बहस हो सकती है लेकिन बिना उस बहस में गए यह सच है कि जब तुम्हारे बाप तुम पर नियंत्रण नहीं रख सकते थे, तो तुम भी नहीं रख पाओगे, क्योंकि हर अगली पीढ़ी तेजतर होती है। (मैंने तो पिताजी के नियंत्रण से मुक्ति के लिए 18 साल की उम्र में उनसे पैसा लेना बंद कर दिया था।) जो कर नहीं पाओगे उसमे क्यों जबरदस्ती खुद भी तनाव लो और बच्चों को भी दो। अरे भाई हमारे पाषाणयुग के पूर्वज हमसे ज्यादा बुद्धिमान नहीं हो सकते थे। लेकिन हर कोई अपनी सोच के विरुद्ध युवा उमंगों की बयार देख कहता है इन्हें बरगला दिया गया है, आप किसी युवा को बरगलाने की कोशिस करके देखिए, औकात पता लग जाएगी।
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