किसी ने पूछा कि 1962 में भारत-चीन की लड़ाई में मैं कम्युनिस्ट पार्टी के युद्ध-विरोधी धड़े के साथ था या युद्ध समर्थक? उस पर:
भारत चीन के युद्ध के समय मेरा कम्युनिस्ट पार्टी के किसी धड़े के साथ होने का सवाल ही नहीं था, मैं तो 7 साल का कर्मकांडी ब्राह्मण बालक था, जो इन्ही सब बेहूदी अफवाहों के प्रभाव में 15-16 साल की उम्र तक बिना कुछ जाने-समझे कम्युनिस्ट शब्द को वैसा ही बुरा शब्द समझता था जैसा जड़ मानसिक विकास के आज के तमाम प्रौढ़ भक्त। वैसे मैं जंगखोरी के हमेशा विरुद्ध रहता हूं क्योंकि जंग अपने आप में एक गंभीर समस्या है, यह किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले के समय (2002) एक युद्ध विरोधी रैली में यह नारा गढ़ा गया था, 'जंग चाहता जंगखोर ताकि राज करे हरामखोर'।
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