जब मैं कहता हूं हर अगली पीढ़ी तेजतर होती है तो ऐतिहासिक पीढ़ियों की बात करता हूं, न्यूटन के बेटे का न्यूटन से बड़ा भौतिकशास्त्री होने या आइंस्टाइन के बेटे का उससे बड़ा आइंस्टाइन होने की इसकी व्याख्या अतिसरलीकरण एवं बचकाना है। हर पीढ़ी पिछली पीढ़ियों की उपलब्धियों को समीक्षात्मक धंग से समेकित करती है और आगे बढ़ाती है (each generation critically consolidates the achievements of the previous generations and builds upon it)। तभी हमारा (मानव जाति का) इतिहास पाषाणयुग से साइबर युग तक पहुंचा है, अगले युग का नामकरण भविष्य की पीढ़ियां करेंगी। कोपरनिकस की खोजों को गैलीलियो ने आगे बढ़ाया जिसे न्यूटन ने समेकितकर एक युगकारी पैराडाइम (paradigm) का रूप दिया। उसी के समानांतर समाजिक विज्ञान में, थॉमस हॉब्स से शुरू होकर, सामाजविज्ञानियों सामाजिक पैराडाइम, उदारवाद (लिबरलिज्म) का सृजन किया। पैराडाइम की खासियत होतीहै कि सारे शोध उसी पैराडाइम की सीमाओं में होते हैं, सीमारेखाओं के साथ छेड़-छाड़ कर सकते हैं, लेकिन उसे तोड़ नहीं सकते (can fiddle with the boundaries of the paradigm but can't quash it)। जब टूटता है तो नया पैडाइम बनता है। भौतिकी मे न्यूटोनियन पैराडाइम का युग लगभग 300 साल चला जिसे 20वीं शताब्दी की शुरुआत में आइंस्टाइन ने तोड़ा और मेकैनिकल फिजिक्स के स्थितिज पैराडाइम को क्वांटम भौतिकी के सापेक्ष पैराडाइम से प्रतिस्थापित किया। लेकिन न्यूटन की उपलब्धियों के बिना उसे आइंस्टाइन आगे नहीं बढ़ा सकते थे। जब हम कहते हैं कि आइंस्टाइन न्यूटन से आगे बढ़े तो मकसद न्यूटन की महानता को कमतर करना नहीं होता बल्कि पीढ़ियों के गतिविज्ञान के नियमों का वर्णन करना होता है। पोलिटिकल इकॉनमी स्कूलके नाम से जाने जाने वाले डैविड ह्यूम - एडम स्मिथ आदि स्कॉटिश गुरू-चेलों के समूह ने आर्थिक विकास के चरणों के अर्थ में इतिहास की व्याख्या की या उदारवादी राजनैतिक अर्थशास्त्र का पैराडाइम निर्मित किया जो कार्ल मार्क्स के हाथों में पहुंचकर ऐतिहासिक भौतिकवाद बन गया -- आर्थिक विकास के चरण उत्पादन पद्धति के युग बन गए। सर थॉमस मोर (यूटोपिया के लेखक) ने एक समतामूलक सामूहिकता की सामाजिक व्यवस्था की कल्पना की जिसे जीन जैक्स रूसो ने सामान्य इच्छा (जनरल विल) के रूप में प्रतिपादित किया उसे आगे बढ़ाते हुए मार्क्स-एंगेल्स ने वैज्ञानिक समाजवाद के रूप परिभाषित किया और जनरल विल की जगह सर्वहारा की तानाशाही की अवधारणा दी। सर्वहारा की तानाशाही के सिद्धांत को व्यावहारिक रूपदेने के लिए लेनिन ने जनतांत्रिक केंद्रीयता का सिद्धांत दिया। ऐतिहासिक भौतिकवाद में अर्थ प्रधानता (अर्थ ही मूल है) के सिद्धांत को ऐंटोनियो ग्राम्सी ने संशोधितकर उसमें सांस्कृतिक वर्चस्व का सिद्धांत जोड़ा। आज जब हम मार्क्सवाद की बात करते हैं तो मार्क्स-एंगेल्स की रचनाओं के अलावा इनऔर अन्य मार्क्सवादियों के योगदान के साथ उसकी समग्रता की बात करते हैं। जब मैं कहता हूं हर अगली पीढ़ी तेजतर होती है तो इसी सामान्य ऐतिहासिक अर्थ में। अभी इतना ही, बाकी बाद में। अब थक गया, दिल के दौरे के बाद वैसे ही लिखने की एकाग्रता बनाने में बहुत कोशिस करनी पड़ती है।
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