Wednesday, April 23, 2014

लल्लापुराण 147

जोे नवजवान आपकी तरह कु-समाजीकरण के चलते दिमाग गिरवी रख पशुकुल में वापस जा तोते-भेंढ़ बन जाते हैं उन्हें मेरी बात नहीं समझ आयेगी, क्योंकि दिमाग का इस्तेमाल ही मनुष्य को पशुकुल से अलग करता है. तमाम खुले दिमाग से सीखने को आतुर नवजवानों को मेरी बातें समझ में आती हैं. आप तो इसी भाषा के तमीज में अपने पिता से भी भात करते होंगे या उन्ही से सीखा है? सकंघी जहालत का आलम यह है कि जो लिखा वह नहीं पढ़ेंगे औरक न लिखा पढ़ लेंगे. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही कारपोरेटी दलाल पार्टियां हैं अंबानी सिर्फ फेंकू नबीं पालता पप्पू भी पालता है. जैसे ही केजरीवाल ने अंबानी पर मुकदमा किया दोनों ने मिलकर सरकार गिरा दी. गाली-गलौच छोड़ कुछ पढ़ो लिखो काम आएगा.

सचिन सिंह जी, आपको घटिया बुजुर्गों की सोहबत मिली जहालत की समझ के लिए, आप जैसे पुरामपंथी बुड़ढों से भी गये-बीते बुड़ढे हैं. जवान बिचारों से होता है उम्र से नहीं. चिंता की बात है कि आज के नवजवान बिना पढ़े-लिखे पता नहीं कहां से आधारहीन जहरीले विचार बना लेते हैं. मेरे हजारों नवजवान मित्र हैं और जब भी इलाहाबाद दाता हूं तो 35-40 छत्रों के साथ 4-5 घंटे के स्टडी क्लास करता हूं. मैं तो अति आशावादी हूं और परिवर्तन के  प्रगतिशील गतिविज्ञान का हिमायती.  पूरी उम्मीद है कि एक जनतांत्रिक विमर्श के जरिए आपको भी दिमाग के इस्तेमाल से तथ्यों तर्कों के आधार पर, मिथकों और कही-सुना के आधार पर नहीं, दुनिया समझने और इस तरह स्वरूप ही नहीं सार में भी पशुकुल से अलग होने क कर  है कि आपको भी प्रेरित कर पाऊंगा. स्नेह.

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