Friday, April 4, 2014

मोदी विमर्श 19

मीनू जैन की एक पोस्ट "बच्चा बच्चा राम का..... " पर मेरे कमेंट्स पर कुछ कमेंट और ङनपर मेरे कमेंट-

Rahul Srivastava Ish Mishra माँ चु** गयी वैचारिक स्वतंत्रता .. हम अपने आराध्य के प्रति एक शब्द भी जो अपमानजनक हो स्वीकार नहीं करेंगे .. सुन सटके हुए भेजे वाले इश .. पिछवा* में दम है इस मीनू जैन या तुम्हारे तो लिख कभी ऐसा ही अन्य धर्मावलंबियों के विरुद्ध ,फिर देखना पिछवा* लाल कर देंगे वो तुम दोनों का
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तुम्हारी गलती नहीं है संघी जाहिल, भाषा की यही  तमीज तुम्हें संघी संस्कार में मिली है,  ये कायर संघी मेरी बातों  से बौखलाकर अपनी संस्कृति के अनुकूल गाली-गलौच करते हैं तो बहुत मज़ा आता है. जहां तक उनकी औकात की बात है तो संघियों की तो छोडो उनका वह कायरों की तरह छिप कर बाली का बध करने वाला कल्पित आराध्य मर्दवादी राम, जो एक औरत के नाक-कान कटवा कर पौरुष का प्रदर्शन करता है और अग्नि पारीक्षा के बाद पत्नी को गर्भवती करके लात मार कर निकाल देता है, वह भी  नहीं कुछ  बिगाड़ सकता. क्योंकि कि ईश्वर आत्मबल की कमी वाले लोगों का संबल है. इस सुन्दर भाषा का स्वाद आप अपने मान-बाप को भी चखाते होंगे? क्योंकि भाषा की तमीज आदत का हिस्सा बन जाती है.

एक अदृश्य, अज्ञात महा शक्ति की कल्पना के रूप में ईश्वर की अवधारणा की उत्पत्ति अज्ञात के भय और सांसारिक घटनाओं की समझ की कमी के कहते हुई और बाद में वर्गसमाज के आगमन के बाद शासक वर्गों ने  उसे धर्म के रूप में संस्थाबद्ध करके अपना प्रभावी वैचारिक औजार बना लिया जो आज तक बना हुआ है. साम्प्रदायिक ताकतें इस औजार का इस्तेमाल नफ़रत फैलाने में में करती हैं.

Atul Agrawal ish mishra ji .....दूसरों को तमीज सिखाते सिखाते आप खुद कब कितने जाहिल और बदतमीज बन गए आपको पता ही नहीं चला ...

@ Atul Agrwal: आप बतायें, महाकाव्य के  किसी मर्दवादी चरित्र को मर्दवादी कहना जहालत है? संघियों की गाली-गलौच की गलीच भाषा को वेदवाक्य समझा जाय? संगियों से मुझे सनद नहीं चाहिए. जहालत तो तुम दिखा रहे हो जो बिना कारण हताए फतवे दे रहे हो. बताओ किस वाक्य में तुम्हें बदतमीजी दिख रही है? विषय पर बात करो अगर दम है तो. राम के पक्ष में तर्क दे अगर दे सकते हो?  नहीं तो संघी कुतर्क ही दो. संघियों को पहले दिमाग इस्तेमाल करने की सीख देता हूं, अझेल हो जाते हैं तो ब्लाॉक कर देता हूं. ऊपर अपने संघी बंधु की भाषा देखो, ज़लील समाजीकरण और संस्कारों की ुपज़ लगती है.


Rahul Srivastava Ish Mishra आपने अभी ऊपर ईश्वर के अस्तित्व और उस अस्तित्व को बनाए रखने की अवधारणा प्रस्तुत की .. मैं आपसे ये जानना चाहता हूँ कि क्या ईश्वर के साथ अल्लाह भी एक काल्पनिक चरित्र मात्र है ,और कुरआन शरीफ एक मानव निर्मित रचना है साथ ही क्या पैगम्बर हज़रत मुहम्मद साहब (पी.बी.यू.एच) ने लोगों को अल्लाह का भय दिखाकर अपने स्वार्थों का दोहन किया .. उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी

जब मैं ईश्वर की बात कर रहा हूं तो सभी धमों के ईश्वरों की बात कर रहा हूं, खुदा-गॉड सब. जब ईश्वर ही नहीं होता तो उसका पैगंबर कहां से आयेगा. मुहम्मद साहब एक चतुर चरवाहे और समाज-सुधारक थे जिन्होने धर्मभीरु समाज की नस का अंदाजा लगाकर खुद को पैगंबर घोषित कर दिया. मुहम्मद के उत्तराधिकार के लिए उसके अनुयाया और कुंबे वोलों में भयानक जंग हुआ और इस्लाम दोफांक हो गया. मुहम्मद की ही तरह मोदी ने गुजरातेयों की नस पहचान ली और जनसंहार और बललात्कार के आयोजन से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण से सत्ता हासिल करके सूबे को अपने आकाओं टाटाओं, अदानियों और अंबानियों के हवाले कर दिया. लेकिन काठ की हंड़िया बार बार नहीं चढ़ती. हां भाषा की तमीज संस्कारों  का परिणाम होता है, संघी प्रशिक्षण तो ऐसे संस्कार देता ही है, पारिवारिक माहौल का भी भाषा की तमीज पर असर पड़ता है. घर में भी संघ की तरह जहालत का माहौल है क्या? वैसे संघियों की गाली-गलौच का मैं बुरा नहीं मानता, जो सीखे हैं वबीं तो बोलेंगे, बेचारे.

Rahul Srivastava Ish Mishra ना ना गुरु जी , मैं बदतमीज़ केवल फेसबुक पर बना हूँ वो भी केवल दो दिन से शुरुआत की है .. मेरा स्टेटस देखिये --- भैया अब हम बदतमीज होने जाय रहेन हैं क्योंकि सभ्य ,शालीन रहकर बहुत देख लिया काहे से वैचारिक प्रतिरोध में जब तक शब्दों की गर्मी नहीं होगी ,गालियों की धार नहीं होगी तबतक इन विकृत मानसिकता वाले घोर पूर्वाग्रही हिन्दू विरोधी ,मोदी विरोधी ,भा.ज.पा विरोधी ,राष्ट्र-विरोधी ये छद्म धर्मनिरपेक्ष ,लेफ्टिस्ट,आपिस्ट,एक्टिविस्ट, प्रगतिशील ,साहित्यकार,कलाकार,पत्रकार आदि अपना प्रलाप बंद नहीं करेंगे .. साथ ही यदि बल प्रयोग की भी आवश्यकता पड़ी तो उसके लिए भी मैं तैयार हूँ ...

@Rahul Srivastav: सबसे बड़ेे देशद्रोही नफरत की आग फैलाकर सत्ता हासिल करके मुल्क सांम्राज्यवादी पूंजी के हवाले करने वाले जनद्रोही संघी हैं, जिनका सरगना है नरसंहार और सामनूहिक बलात्कार का आयोजक, सूबे का किसानों को बेघर करके उनकी जमीनें मिट्टी के भाव अदानियों-टाटाओं को बेचने वाला, अंबानी का ज़रखरीद, नरपिशाच, इताहासबोध से शून्य मोदी. मोदियाये संघियों के पास मोदियाने का एक भी कारण नहीं है, गाली गलौच के अलावा इन जाहिलों को कोई भाषा नबाृीं आती. बलप्रयोग ही संघी प्रवृत्ति है. इस पोस्ट पर 97 लाइक हैं, 3 ही बजरंगी लंपट अपनी संघी प्रवृत्ति के खिलाफ अपनी मातृभाषा में बनरघुड़कियों के साथ बाहें मड़ोर रहे हैं, अंकगणित का ज्ञान हो तो गणना कर लो. अवे संघी लंपट धमकी किसे दे रहा है, जो भूत और भगवान से नहीं डरता वह बजरंगी लंपटों के भौंकने से डर जायेगा क्या.

वैसे इस पोस्ट को 97 लोगों ने लाइक किया है, ज्यातर के हिंदू नाम हैं और आप समेत 3 लोग गाली-गलौच कर रहे हैं. लाइक करने वालों को आप हिंदू नहीं मानते क्या? मोदियापे के रोग से त्रस्त यह नगण्य अल्पमत, हिंदुओं का ठेकेदार कैसे बन गया?

@Atul Agrawal: मैं बौखलाता नहीं मित्र, यह संघियों का काम है. मोदी जी के बारे में हमने जो कहा है उसका खंडन कीजिए, या यह नरपिशाच आपको भगवान क्यों लगता है यह बताइए, इसी लिए मोदियाये लोगों को जाहिल कहता हूं कि वे दिमाग का इस्तेमाल नहीं करते भक्ति भाव से मंत्र जपने लगते हैं. मोदी की लोकप्रियता बिके हुए कारपोरेड मीडिया की और कुछ पढ़े-लिखे जाहिलों की पेसबुक पर गाली-गलौच की देन है. इतनी ही लोकप्रियता है तो वरिष्ठ भाजपाइयों- अडवानी, जोशी, जसवंत, लालजी,...... आदि से इतना डर क्यों जो चुनाव से पहले ही उन्हें निपटाीने लगे. इतनी ही लोकप्रियता है तो सारे भगेड़ुओं को क्यों जुटा रहा हबै. उ.प्र. से ही 25 कांग्रेसी भाजपा टिकट पर लड़ रहे हैं और 12 गुजरात में. बिहार में आधे भगेड़ू हैं... यो भगेड़ू अगर जीत भी गये और फिर भाग गये तो. इतना ही लोकप्रिय है तो पासवान और उदितराज जैसे पिटे मोहरे क्यों जुटा रहा है. 16 जून को पता चलेगा.

2 comments:

  1. सारे काँग्रेसी भाजपा में काहे जा रहे हैं मोदी जी काँग्रेस में शामिल हो जायें बाँस भी रहेगा बाँसुरी भी बजेगी साँप मरेगा नहीं नाचेगा समझा करो भाई लोगो :)

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  2. There are 25 Cong candidates are contesting on BJP ticket from UP alone and 12 from Gujrat.

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