एक अदृश्य, अज्ञात महा शक्ति की कल्पना के रूप में ईश्वर की अवधारणा की उत्पत्ति अज्ञात के भय और सांसारिक घटनाओं की समझ की कमी के कहते हुई और बाद में वर्गसमाज के आगमन के बाद शासक वर्गों ने उसे धर्म के रूप में संस्थाबद्ध करके अपना प्रभावी वैचारिक औजार बना लिया जो आज तक बना हुआ है. साम्प्रदायिक ताकतें इस औजार का इस्तेमाल नफ़रत फैलाने में में करती हैं.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
मेरे ब्लाग पर आकर कभी कुछ नहीं बोलते कह के जाओ ना कूड़ा लिखते हो । कोई नहीं खुद्गर्जी कोई होकर जो क्या होती है ? लिखते रहो हम आते रहेंगे वाह वाह भी करेंगे परेशान मत होईयेगा :)
ReplyDeleteअब ज्यादा बोलूंगा, अच्छा लिख रहे हैं.
Delete