Saturday, April 5, 2014

ईश्वर विमर्श 4

ईश्वर की अवधारणा पर मेरी एक पोस्ट पर एक संघी के हिंदुत्व की सहिष्णुता के कमेंट पर मेरा एक कमेंट-

पहली बात तो यह कि यह कथन ईश्वर की अवधारणा पर है धर्म जिसका परिधान है, हर परिधान में उसका सार वही है.  सारे ही धर्म सहिष्णुता का उसी तरह दावा करते हैं, जैसे आप कर रहे हैं. चार्वाक-लोकायत का सारा साहित्य ब्राह्मणों ने नष्ट कर दिया. ब3ह्मणवादी ग्रँथों में इस भौतिकवादी दर्शन की निंदा से निकाल कर आधुनिक विद्वानें ने इसकी पुनर्रचना किया. महाभारत में युद्ध के बाद चार्वाक जब युधिष्ठिर से युद्ध की अवांछनीयता पर बात करता है तो ब्राह्मण उसे राक्षस घोषित कर भस्म कर देते हैं. इतना सहिष्णु धर्म है कि एक आदिवासी बालक तीरंदाजी सीख लेता है तो उसका अंगूठा काट लेता है. राम पर एक महिला की पोस्ट पर कुछ बजरंगी अपने संस्कारों के अनुरूप भाषा की तमीज दिखाते हुए सड़क छाप लंपटों की भाषा में गाली गलौच करने लगे. इन आत्मघाती जाहिलों की गाली-गलौच का मैं बुरा नहीं मानता, जो भाषा जानते हैं उससी में तो बात करेंगे और शिक्षक होनाे के नाते मैं निराश नहीं होता कभी तो दिमाग का इस्तेमाल करेंगे और भाषा की तमीज सीखने की कोशिश करेंगे. धोबी का उलाहना तो मर्दवादी, वर्णाश्रमी राम के लिए पवित्रता की अग्निपरीक्षा के बाद गर्भवती करके पत्नी को लात मारकर निकालने का बहाना भर था. ब्हरमारा धर्म इतना सहिष्णु है कि अपने एक विशाल भाग  से जानवरों से भी बदतर ब्यवहार करता है, एक आततायी के जनसंहार की निंदा करने वालों को मां-बहन की गालियों से नवाजता है राष्ट्र भक्ति की सनद बांटता है. हिंदू धर्म उतना ही अधोगामी है जितना अन्य धर्म. हमारा धर्म इतना सहिष्णु है कि एक ऐसे चरित्र को अवतार-पुरुष मानता है जो प्रणय-निवेदन करने वाली लड़की के कान-नाक कटवाकर पुरुषार्थ दिखाता है और बिना किसी दुश्मनी के कायरों की तरह छिप कर बालि की हत्या करके अपना भगवानत्व दिखाता है, संबूक नामक शूद्कीर  तपस्या से  बौखलाकर उसकी हत्या कर देता है, विभीषण जैसे गद्दार की मदद से रावण की हत्या के बाद सीता को दुत्कारता है कि उसके लिए नहीं उसने खानदान की नाक के लिए युद्ध जीता है. हमारा धर्म बहुत सहिष्णु है कि इसके ठेकेदार धर्म की रक्षा नरसंहार और बलात्कार करके करते हैं और उसके बाद भारत माता की जय.

2 comments:

  1. इसी को राष्ट्रीय चरित्र भी कह लेते हैं !

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