Tuesday, April 29, 2014

जनवाद 1

 लालू आदि को इतिहास बदलने का मौका मिला था लेकिन वे गांधी मैदान बेचने वाले जगन्नाथ की प्रतिस्पर्धा में उनके साथ मिलकर चारा खाने और उन्हीं की तरह वंशवाद फैलाने में मौका गंवा दिया. मैंने 1991 में एक लेख लिखा था जिसमें कहा गया था कि मंडल कमीशन ने और कुछ किया हो या नहीं, 2 काम जरूर किया जातिवाद से ऊपर उठने का दावा करने वाले जातिवादी सवर्णों का पर्दाफास किया और फ्रष्टाचार का जनतांत्रीकरण कर दिया. अब सिर्फ जगन्नाथ और राजीव गांधी ही नहीं देश लूटने में लालू और माया भी सक्षम हैं. भ्रष्टाचार की सबसे बुरी मार सबसे नीचे के आदमी पर ही पड़ती है. इसे मैंने सकारात्मक परिघटना बताया था क्योंकि घोटालेबाजों में जाति के दायरे से उठकर गिरोहबंदी होगी और जनता की जातीय, काल्पनिक भाईचारे की जगह लेगी जलता की जनवादी लामबंदी. मित्र जन्म की जीववोज्ञानिक दुर्घटना से उभर कर मेरा-चोर, तेरा चोर की संकीर्णता से उभर कर विवेकसम्मत जनवादी लामबंदी में भागीदार बनें.

नहीं पढ़ा था. निंदनीय है. वैसे मैं राम की तुलना में रावण को उससे बड़ा खलनायक नहीं मानता. इस पर फिर कभी. जाति के मुद्दे पर बड़ा नेख लिखने की योजना है. जातीय फायदे के लिए वर्णाश्रमी संघी मोदी अपने को पिछड़ा प्रचारित कर रहा है और घोषणापत्र में आरक्षण का विरोध दर्ज करता है. इस मुल्कत में बौदधिक जड़ता का जिम्मेदार ब्राह्मणवादी संकीर्णतावाद ही रहा है जिसे तोड़ने के लिए हमें विवेकसम्मत चेतना के साथ आमजन यानि मेहनतकश की वैचारिक लामबंदी की आवश्कता है. 

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