एक पोस्ट पर कमेंटः
RSS और कांग्रेस को एक पलड़े पर रखना इतिहास समझने की कमनिगाही है। मेरा अपबना मानमना है कि औपनिवेशिक शह पर हिंदू-मुस्जालिम सांप्रीरदायिक सदलालवों के नेतृत्व में जारी सांप्रदायिक रक्तपात थोड़ा और लभीषण भले हो गया होता तथा औपनिवेशिक शासन की विदाई में थोड़ी और देर भले हो जाती कांग्रेस को बंटवारे की औपनिवोशिक परियोजना को नकारते रहना चाहिए था। मैं लगातार लिख रहा हूं कि 1857 के सशस्त्र स्वतंत्रता संग्राम से विचलित औपनिवेशिक शासक उपनिवेशविरोधी आंदोलन की विचारधारा के रूप में उभर रहे भारतीय राष्ट्रवाद और भारतीय आवाम की एकता को तोड़ने के लिए बांटो-राज करो नीति करे लिए धुरी और देशी दलालों की तलाश में थे। धर्म उन्हें विभाजन की धुरी मिलस गयी और दोनों धार्मिक समुदायों से धर्म के नाम पर औपनिवेशिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए दलाल मिल गए जो बाद में मुस्लिम लीग-जमाते इस्लामी और हिंदू महासभा-आ्ररएसएस के रूप में संगठित हुए। कांग्रेस प्रतिरोधक शक्ति थी जो प्रतिरोध को तार्किक परिणति तक ले जाने में असफल रही। औपनिवेशिक शासक आवाम और देश बांटने की अपनी परियोजना में सफल हुए और बंटवारा आने वाली नपीढ़ियों के लिए नासूर बन रिसता जा रहा है, न जाने कब तक रिसता रहेगा। भारत यानि अविभाजित भारत के किसी भी हिस्से में सांप्रदायिक ताकतों का सत्ता पर काबिज होना असंभव था। देश के उस हिस्से में पहले ही इस्लामी पाकिस्तान बन गया इस हिस्से में हिंदू पाकिस्तान अब बन रहा है।
2. दूसरी बात शासक शासक होता है, मेरा या आपका नहीं, वह शासक वर्ग का नुमाइंदा होता है जैसे आज का शासक धनपशु (पूंजीपति) वर्ग का नुमाइंदा है, चाहे वह ट्रंफ हो, मोदी या पुतिन.....। यह देश किस हिंदू का है? रिक्शा चासक राम खेलावन का या मोदी को अपनी जहाज में घुमाने वाले कृपापात्र धनपशु, गौतम अडानी का? मैंने यही बताने की कोशिश की है कि यह और वह देश की बात अंगह्रेजों की ुपरियोजना थी जिसमें उसके देशी दलालों ने सहयोग दिया। मंटो ने एक कहानी में लिखा है कि कुछ लोग कहल रहे हैं एक लाख हिंदुओं को कत्ल कर हिंदू धर्म का जनाजा निकास दिया गया और कुछ लोग कह रहे हैं एक लाख मुसलमानों को मौत के घाट उतारकर वइस्लाम का सत्यानाश कर दिया गया। हिंदू धर्म और इस्लाम का तो कुछ नहीं हुआ, यह कोई नहीं कह रहा है कि दो लाख इंसान मार दिए गए। तो मित्र इंसान बनिए।