Thursday, July 3, 2025

बेतरतीब 172 (जन्मदिन)

 परसों रात से आज तक, फोन, व्हाट्सअप और फेसबुक पर इतनी बधाइयां और शुभकामनाएं मिलीं कि दिल गदगद हो गया। सब मित्रों का दिल से आभारी हूं। ल मैंने जीवन के 70 वर्ष पूरे कर लिए, और पलटकर देखता हूं कि अपनी शर्तों पर जीने के अलावा कुछ भी उल्लेखनीय नहीं किया। वैसे तो जीवन का कोई जीवनेतर उद्देश्य नहीं होता, एक अच्छी जिंदगी जीना अपने आप में संपूर्ण उद्देश्य है। अब बाकी बची जिंदगी में कोशिश करूंगा कि पिछले कामों को संकलित करूं और जो भी हो सके नया करूं। मेरे लिए अच्छी जिंदगी का मतलब करनी-कथनी में एकता स्थापित करना या यों कहें कि सिद्धांतो को जीना। रूसो अपनी कालजयी कृति सोसल कांट्रैक्ट की बहुत छोटी सी भूमिका में लिखते हैं कि वह अपनी शक्ति की सीमाओं के जाने बिना इसे राजनीति पर एक बृहद काम के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था, लेकिन वही हो सका। मैंने सोचा था जीवन में क्रांति करना है, लेकिन क्रांति तो एक अनवरत प्रक्रिया है और इतिहास क्रांति-प्रतिक्रांति का चक्र है। युवावस्था की शुरुआत में क्रांति की संभावनाएं सामने थीं और आगे बढ़ते बढ़ते प्रतिक्रांति शुरू हो गयी, इतिहास ने खतरनाक यू टर्न ले लिया। कुछ मित्र आत्मकथा लिखने का आग्रह करते हैं, मैं कहता/सोचता हूं कुछ उल्लेखनीय तो किया नहीं फिर सोचता हूं उल्लेखनीय करने वालों की जीवनी तो और लोग भी लिख देंगे साधारण लोगों को खुद लिखना पड़ता है। इस लिए आत्म कथा तो नहीं सोसल मीडिया पर बेतरतीब संस्मरण लिखता रहता हूं, जिनकी बेतरतीब शीर्षक से श्रृंखला अपने ब्लॉग RADICAL (ishmishra.blogspot.com) में सेव करता रहता हूं जिन्हें तरतीबवार करना बहुत मुश्किल है, हां यदि तरतीबवार आत्मकथा लिखना हो तो उनमें से कुछ कॉपी-पेस्ट किया जा सकता है।


आखिर में एक बार फिर से सभी मित्रों का हार्दिक आभार

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