Saturday, July 19, 2025

शिक्षा और ज्ञान 179 (सरकारी स्कूल)

 सरकारी स्कूलों को बंद करने के समर्थन में एक पोस्ट पर किसी ने लिखा कि निजी स्कूल स्कूल अभिभावकों को लूटते तो हैं लेकिन अच्छी शिक्षा देते हैं। वैसे अच्छी शिक्षा क्या होती है, बहस का विषय है। मैं तो टाट-पट्टी स्कूल से पढ़ा हूं तथा डीपीएस जैसे संभ्रात निजी स्कूल में कुछ साल पढ़ा चुका हूं। उस पोस्ट पर एक कमेंट:


शिक्षा का धंधा करने वाले धनपशु अभिभावकों को अंग्रेजी शिक्षा के नाम पर लूटते हैं और बेरोजगारी की मार से मजबूरन इनकी चाकरी करने वाले मास्टरों को 5-10 हजार की मजदूरी देकर उनका खून चूसते हैं। दयनीय मजदूरी और काम की दयनीय परिस्थितियों में ये शिक्षक कितनी गुणवत्ता की शिक्षा देंगे, समझा जा सकता है। हम तो सरकारी स्कूलों के मास्टरों के चलते इतना पढ़-लिख लिए, धनपशुओं की दुकानों में दाम चुकाकर पढ़ने की स्थिति ही नहीं थी। उस समय तो कलेक्टर-कप्तान के बच्चे भी सरकारी स्कूलों में ही पढ़ते थे तथा उनका स्तर बनाए रखने का दबाव भी होता था, अब तो अधिकारी अपने बच्चों को इंपोरियम्स में भेजते हैं और छोटे अधिकारी दुकानों में, सरकारी स्कूलों में गरीब, मजदूरों के बच्चे ही जाते हैं और सरकार द्वारा स्तर बनाए रखने का कोई दबाव नहीं है तथा उसे सरकारी स्कूल बंद कर धनपशुओं की दुकानें चलने का इंतजाम करने का बहाना मिल जाता है। बाकी धनपशुओं के चारण तो सरकारी स्कूल बंद कराने का गीत गाते ही रहेंगे।

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