Monday, February 3, 2025

कुछ नहीं कुछ नहीं होता

 न सोचने से किसी विचार का जन्म नहीं होता,

न सोचने से किसी विचार का जन्म नहीं होता,
इसलिए सोचताहूं

न लिखने से भी कुछ नहीं होता,
इसलिए लिखता हूं
न बोलने से भी कुछ नहीं होता,
इसलिए बोलता हूं
न पढ़ने से भी कुछ नहीे होता,
इसलिए पढ़ लेता हूं
न करने से भी कुछ नहीं होता
इसलिए कुछ-न-कुछ करता रहता हूं
वैसे तो कुछ भी कुछ नहीं होता
उसी तरह जैसे नामुमकिन जिंदा आदमी का कुछ न करना
न सोचने, न लिखने, न बोलने, न पढ़ने, न करने से भी कुछ नहीं होता
इसलिए सोचता, लिखता, पढ़ता, बोलता और करता रहता हूं
ये सब इस उम्मीद में करता रहता हूं कि हो सकता है कुछ हो ही जाए।
(ईमि: 03.02.2025)

No comments:

Post a Comment