Friday, March 21, 2025

लल्ला पुराण 333 (औरंजेब)

 किसी ने एक पोस्ट में लिखा कि भारत में औरंगजेब के बहुत 'मनई' हैं, मैंने कहा कि उसके पास 'मनई' की कमी कभी नहीं रही, सारे राजपूत और मराठे उसके दरबारी थे, उन्होने पूछा, तब औरंगजेब को महान मान लिया जाए? उस पर:


मैंने तो ऐसा नहीं कहा कि औरंगजेब महान था। . पूर्व आधुनिक (pre modern) इतिहास में जब राज्य की स्थापना और विस्तार में तलवार की भूमिका अहम होती थी तब अधिक रक्तपात करने वाले राजा को महान मान लिया गया है चाहे वह सिकंदर हो या अशोक; समुद्रगुप्त या नैपोलियन। मैं सिर्फ यही कहना चाहता हूं कि इतिहास की किताब से एक पन्ना फाड़कर न पढ़ें। औरंगजेब जैसा भी था महान या कमीना उसके दरबारी कारिंदे भी वैसे ही थे। और ऐतिहासिक तथ्य है कि उसके ज्यादातर मनसबदार, जागीरदार तथा सैनय अधिकारी राजपूत और मराठे थे। शिवाजी के विरुद्ध युद्ध में औरंगजेब के सेनापति राजा जय सिंह थे। अकबर के समय राजपुताने के एक राजा, मेवाड़ के राणाप्रताप मुगल सल्तन की अधीनता न स्वीकार कर विरोध में लड़ते रहे. औरंगजेब के समय तो राजपुताने का एक भी रजवड़ा मुगल सल्तनत की अधीनता से बाहर नहीं था। राणाप्रताप के वंशज भी मुगल दरबारी बन गए थे। ऐसा तो नहीं हो सकता कि राजा कमीना था और उसके प्रशासन के सभी स्तंभ महान!! मैं केवल यही कह रहा हूं कि राजा के कारिंदों का राजनैतिक चरित्र वैसा ही होता है, जैसा उनके आका का। ऐसा कहना दोगलापन है कि उसका सेनापति राजा जय सिंह महान था लेकिन औरंगजे कमीना था। मैं केवल यही कहना चाहता हूं कि राजनीति में मामला सत्ता और मलाई का होता है , हिंद-मुसलमान का नहीं। औरंगजेब की सेना में ज्यादातर बड़े सेना अधिकारी राजपत और मराठे थे और शिवाजी की सेना में की अहम पदों पर मुसलमान थे। सांप्रदायिकता आधुनिक विचारधारा है ऐतिहासिक नहीं। धार्मिक राष्ट्र्र्रवाद की विद्रूप अवधारणा पर आधारित सांप्रदायिक विचारधाराएं, औपनिवेशिक पूंजी की कोख से जन्मी जु़ड़वा औलादें हैं।

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