राजपूत से इंसान बनना जरूरी है
सारे राजपूत पहले मुगलों के दरबारी थेफिर अंग्रेजों के दरबारी हो गए
दरबारी संस्कृति ही राजपुताने की शान है।
यादवेंद्र सिंह परिहार उम्र का लिहाज न करता हूं, न अपेक्षा रखता हूं, एक राणा प्रताप विद्रोह की ज्वाला जलाए रखे, बाकी उनके भाइयों समेत राजपुताने के सारे रजवाड़े अकबर के दरबारी थे और मेवाड़ के रजवाड़ों समेत राजपुताने के सारे जरवाड़े औरंगजेब के दरबारी थे। राणा प्रताप से युद्ध में अकबर का सेनापति आमेर का राजा मान सिंह था और शिवाजी के साथ युद्ध में औरंगजेब का सेनापति उनका वंशज जय सिंह। 1857 के विद्रोह में में रानी लक्ष्मी बाई से कुछ रजवाड़ों के छोड़कर सभी मराठे और सारे राजपूत रजवाड़े अंग्रेजों की दलाली कर रहे थे उनके वंशज अब मोदी के भक्त हैं। औरंगजेब मानलिंह की बहन का परपौत्र था और इस तरह राजस्थान की उपमुख्यमंत्री का पूर्वज था। आप यदि राजपूत से इंसान बन गए हों तो अलग बात है, मैं तो 13 साल में ही जनेऊ तोड़कर बाभन से इंसान बनना शुरू तकर दिया था।
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