विज्ञान के विद्यार्थियों के धार्मिक होने की एक पोस्ट पर 3 कमेंट के साथ नई शिक्षा नीति पर 5 साल पहले लिखाया लेख
मुझे जब कोई अवैज्ञानिक तेवर में कुतर्क करता मिलता है तो पूछ लेता हूं, विज्ञान के विद्यार्थी रहे हो? ज्यादातर मामलों में जवाब सकारात्मक मिलता है। दरअसल, विज्ञान विज्ञान की तरह नहीं, कारीगरी (स्किल) की तरह पढ़ाया जाता है।
हम लोगों को तोता बनाने की पढ़ाई कराई जाती थी, नई शिक्षा नीति में गधा बनाने की, इन बच्चों को इंसान बनने के लिए हमलोगों से ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी।
हम हॉस्टल के वार्डन थे तो परीक्षा के दिन यदि 10 बच्चे बगल के कॉलेज के पास मंदिर में हनुमानजी का आशिर्वाद लेने जाते दिखते थे तो उनमें 7 विज्ञान के होते थे और 7 विज्ञान वालों में 5 भौतिकशास्त्र के। भौतिकशास्त्र करण-कारण (कॉज-इफेक्ट) फ्रेमवर्क के बाहर किसी भी बात का संज्ञान नहीं लेता; किसी भी चीज का संज्ञान तभी लेता है जब उसमें भौतिकता हो, किसी बात को तभी मानता है जब वह प्रमाणित हो। हमारे भौतिकशास्त्र के गुरुजी 3 फुट लंबा त्रिपुंड लगाकर घूमते हैं, प्रधानमंत्री बनने के लिए किसी ज्योतिषी के कहने पर किसी बालटी बाबा को 6 पैर के बकरे की तलाश का ठेका दिए थे।
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