एक बार एक लघु फिल्म में गांधी की भूमिका कर चुका हूं लेकिन मेरे पास उसकी सीडी नहीं है। 2004 बांबे वर्ल्ड सोसल फोरम में दिल्ली के किसी प्रोडक्सन हाउस में काम करने वाली 2 लड़कियां मिलीं और मेरा फोन नंबर लिया। उन्हें गांधी के लुक-अलाइक की तलाश थी। बात आई-गई हो गयी। छठें पे कमीसन के पहले तक घर चलाने के लिे तनखाह के अलावा पढ़-लिख कर सप्लीमेंट्री इनकम करनी पड़ती थी। 6-7 महीने बाद एक दिन टैक्सी भेजने का पता पूछते हुए सैनिक फार्म (साकेत के पास) में आडिसन के लिए फोन आया। नमक सत्याग्रह के 75 वें साल के उपलक्ष्य एक प्रदर्शनी के आयोजन के लिए गांधी-इर्विन के बीच शतरंज के खेल की एक प्रतीकात्मक क्लिप बनाना था। 5 हजार की दिहाड़ी पर की गीतांजलि इन्क्लेव में 4दिन शूटिंग थी। पहली बार सिनेमा का कैमरा और ट्रैक देखा। इर्विन का रोल जेनयू में स्पेनिश पढ़ाने वाला एक ब्राजीलियन ने किया था। जब कैमरा ऑफ होता था तब मैं सिगार पीकर जलता हुआ रखता था कैमरा ऑन होने पर वह ले लेता था। उसने कहा था कि Gandhi should have been a smoker and Irwin a non-smoker. मॉनिटर पर मैं एटनबरो से ज्यादा प्रामाणिक गांधी दिख रहा था। शूटिंग के बाद बोला कि जब सीडी लेने जाऊंगा तो चश्मा भी दे देगा, मैं पेमेंट लेकर चला आया न चश्मा लेने गया न सीडी। प्रोड्यूसर का नाम रंजीत सिन्हा था शायद।
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