Wednesday, October 14, 2020

बेतरतीब 87 (इग्नू) -- 2

बेतरतीब 87 (इग्नू) -- 2 

 इग्नू के विद्यार्थियों के लिए आधुनिक भारतीय राजनैतिक चिंतन पाठ्यक्रम के परिचयात्मक अध्याय के लिए काम करना बहुत लाभकारी रहा। विभाग के अन्य कामों के साथ यह यूनिट पूरा करने में ढाई-तीन महीने लग गए। हस्तलिखित मूल पांडुलिपि विभाग के टाइपिस्ट को दे दिया था जिसका एक प्रिंट आउट मेरे कागजों के बिवावान में कहीं होगा जिसे खोजना मुश्किल है छपा हुआ ब्लॉक (पुस्तिका) किसी को दे दिया था, कभी इग्नू के किसी केंद्र पर जाने का मौका मिला तो लेकर रखने की कोशिस करूंगा। वहां के काम के अनुभवों और समाजीकरण के विस्तृत संस्मरण कभी मौका मिला तो लिखूंगा। कई बार अकेले कई बार और भी लोगों के साथ पहाड़ी पर निर्माणाधीन भवनों के इर्दगिर्द घूमते हुए अब बन चुके भवनों का पूर्वानुमान लगाता था। अगस्त 1989 में प्रो. मनोरंजन मोहंती के जरिए वहां के राजनीति विभाग के तत्कालीन अध्यक्ष प्रो. केके मिश्र से हिंदू कॉलेज में गेस्ट लेक्चरर का ऑफर मिला। केके मिश्र अच्छे बुद्धिजीवी, लोकपर्रिय शिक्षक और नियायत हू अच्छे इंसान थे। मयूरविहार से दिल्ली विवि फिर वहां से मैदान गढ़ी आना-जाना हर रोज काफी दूरी तय करना आसान तो नहीं था लेकिन क्लासरूम की लालच छोड़ नहीं सका और हां कर दिया। उन दिनों 30 रुपया गेस्ट लेक्चर का प्रति क्लास भुगतान मिलता था। मोटरसाइकिल से जाकर हिंदू कॉलेज पहली क्लास (8.50-9.40) में राजनैतिक सिद्धांत पढ़ाकर, 10.30 बजे तक इग्नू पहुंच जाता। वहां की नई बन रही लाइब्रेरी काफी समृद्ध थी। क्लास की कुछ तैयारी वहां करता कुछ सुबह उठकर घर। मेरी स्कूल दिनों से ही सुबह दल्दी दगने की आदत है। जग तो अब भी जल्दी जाता हूं, लेकिन उठता हूं 5.30 बजे के बाद। क्लास की तैयारी कभी जेएनयू तो कभी मंडी हाउस की अड्डेबाजी और इग्नू का काम सब मिलाकर मेहनत काफी करनी थी, लेकिन मेहनत करने में मजा भी खूब आ रहा था। मैं अब भी काम करके नहीं थकता, काम न करके थक जाता हूं। 1 अक्टूबर से दिल्ली विवि में 15 दिन की छुट्टी हो जाती थी। कुल मिलाकर औपचारिक क्लासरूम की प्रणाली की नौकरी न होने के बावजूद इग्नू का माहौल काफी जीवंत रूप से शैक्षणिक था, अन्यान्य विषयों के शिक्षकों से आनंददायक अंतरविषयक चर्चाएं होती थीं। नवंबर में हिंदू कॉलेज में अस्थाई पद के लिए इंटरविव था, जिसमें मेरा चुनाव मेरे लिए आजीविका के लिहाज से काफी आत्मघाती साबित हुआ, जिसके बारे में अगले बेतरतीब संस्मरण में।

1 comment:

  1. मजेदार संस्मरण. लिखते रहें कॉमरेड.

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