Saturday, October 17, 2020

लल्ला पुराण 356 (लव जेहाद)

 Arun Kumar Singh लिखने की एक विधा होती है व्यंग्य, मार्कंडेय जी को लड़की के ब्रनवाश की सलाह उसी विधा में दी गयी है। लव जेहाद कुछ होता नहीं, मर्दवादी, राष्ट्रद्रोही, नफरती फिरकापरस्तों के दिमाग के फितूर के अलावा। 'उस वर्ग' और 'अपना वर्ग' की सोच ही देश को टुकड़े करने वाली विध्वसंक सोच है। आप किसी लड़की का ब्रेनवाश करने की कोशिस कीजिए, आप खुद ब्रेनवाश हो जाएंगे। 1984 में हम जेएनयू के कुछ लड़के-लड़कियां आरकेपुरम् में एक धर्मोंमादी सिख-संहार के विरुद्ध कामयाब कोशिस के बाद लौट रहे थे। मुनिरका में कुछ नफरती चिंटुओं से बस हो गयी। बीच बहस में एक ने कहा, जाओ, 'अपने भाई' हो छोड़ दे रहे हैं, हमलोगों ने कहा, हम तुम्हारे जैसे आतताइयों के भाई नहीं हैं, जो करना हो कर लो। खैर तो मुझे इस फिरकापरस्त 'अपने .. वर्ग से' निकाल दीजिए। आपके वर्ग में वह फिरकापरस्त आतताई है जिसने पेरिस में अपने शिक्षक का सिर कलम कर दिया। हर किस्म के फिरकापरस्त, मानवता दुश्मन, सहोदर हैं। क्या हाथरस वे दलित भी आपके 'अपने' वर्ग में शामिल हैं जिनके विरुद्ध इस ग्रुप के तमाम सवर्ण लामबंद हो गए हैं।

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