इस तस्वीर पर तो एक कविता होनी चाहिए
लेकिन कविता पर कविता के लिए होना पडेगा भाषाविद
या होना पडेगा भाषा को ही समृद्ध
होता गर कालिदास
तो लिखता शिखर-दसना, चकित हिरनी प्रेक्षणा
लेकिन नहीं होता यह सोच उदास कि नहीं हूँ कालिदास
(इमि/०८.१०.२०१४)
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