Wednesday, October 1, 2014

ईश्वर विमर्श 12

बाप रे! पवित्र नवरात्रि में इतनी अपवित्र बात!! इस अवधि में पवित्र रहने वाले धार्मिक  सुचिता के ढोंग नहीं करते, सचमुच में धर्म को मानते हैं अौर विज्ञान कौशल के रूप में में जीविकोपार्जन के लिये पढ़ते हैं. वे विवि की शिक्षा को संसकारजन्य धार्मिक मान्यताअों से  खिलवाड़ नहीं करने देते. अास्था के सवाल ज्ञान-विज्ञान से परे है. अास्थाजन्य भावनायें इतनी नाजुक होती हैं कि विवेकजन्य किसी भी सवाल से अाहत हो सकती हैं. इस तरह की पोस्ट को बर्दास्त किया जा रहा है, भगवान का शुक्र अदा कीजिये. मार्क्स ने अफीम कह दिया  अौर आप  वोदका तक  पहुंच गयीं? राष्ट्र अाध्यात्मिक विश्वगुरु बनने की तरफ बढ़ रहा है अौर अाप........ राम राम

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