Saturday, October 25, 2014

अानंद की परिभाषा

विवादित है अानंद की परिभाषा
किसी को मिलता परोपकार मे
तो किसी को परसंताप में
होता है कोई पुलकित अावाम पे कहर ढाकर
तो कोई घाव पर मरहम लगाकर
मिलता है किसी को सुख माल-पूअा खाकर
तो किसी को ज़ंग-ए-अाज़ादी के नारे लगाकर
अानंदित होते कुछ लोग अंधेरे में दिये जलाकर
तो कुछ मिटाते अंधेरा गरीब का घर जलाकर
अाह्लादित होता है कोई ईमानदारी के गुरूर में
तो कोई हरामखोरी के शुरूर में
सुखी होता है कोई कार्य की संपूर्णता में
 तो कोई कामचोरी की निपुणता में
देखते कुछ लोग अच्छे दिन मुल्क नीलामी में
तो कुछ साम्राज्यवाद की बर्बादी में
यथार्थ की ही तरह द्वंद्वात्मक भाव है अानंद की परिभाषा में
ढूंढता हूं मैं कथनी-करनी की द्वंद्वात्मक एकता में.
 (हा हा यह भी कविता हो गयी. सौजन्य- शैलेंद्र)
(ईमिः26.10.2014)

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