सुनो रनवीर सेना के कायर रणबांकुरो
कुत्तों की तरह झुण्ड में शेर बने गीदड़ों
जन्म की अस्मिता से चिपके चमगादडों
जाति के जाल में फंसे बामन-ठाकुरों
किया था कल जिन औरतों का बलात्कार
उठा लिया है उनने आज हाथ में हथियार
हंसिया से काट देंगी बन्दूक थामे हाथ
होगा हिरावल दस्ता जब इनके साथ
खोजेगी वे बेलछी के हैवानों को
मिर्चपुर-बथानीटोला के शैतानों को
सुनो इंसानियत के दुश्मनों, लक्ष्मण-दुर्योधनों!
लड़कियों ने कॉफ़ी बनाना छोड़ दिया है
कलम को औजार ही नहीं हथियार बना लिया है
उट्ठेगा फिर से मुसहरी का किसान
मिटा देगा सामन्ती नाम-ओ-निशान
निकलेगा सड़कों पर छात्र-नवजवान
रख देगा जिस दिन मजदूर औज़ार
ठप हो जाएगा सरमाये का कारोबार
जनवाद की हरकारा बनेगी तब ग़ज़ल
राजकवियों की ख़त्म हो जायेगी फसल
गूंजेगे चहुँ ओर जंग-ए-आज़ादी के नारे
चमकेंगे भूमंडलीय क्षितिज में लाल सितारे
सुनो सरमाये के चाटुकारों पूंजी के गीतकारों
समझेगा जब दुनिया का मेहनतकश यह बात
मुल्कों की सरहदें हैं हुक्मरानों की खुराफात
तोड़ देगा वह देश-काल की सारी सरहदें
पार कर जाएगा धर्म-जाति-राष्ट्रवाद की हदें
सुनो गाजापट्टी के नरभक्षियों, नस्लवाद के उद्धारकों
दुनिया भर के बुशों-ब्लेयरों-मोदियों-शरीफों ध्यान से सुनो
तान देगा तब बन्दूक वह अपने ही हुक्मरानों पर
काबिज होगा भूमंडलीय पूंजी के सभी ठिकानों पर
सुनो अवतार-पैगम्बरों के नुमाइंदों मजहब के ठेकेदारों
अरस्तुओं-मनुओं-एडम स्मिथों गैरबराबरी के विचारकों
नहीं है कुदरत की विरासत गैरबराबरी
गढ़ती है इसे जतन से विद्वानों की बिरादरी
जान जाएगा जब मजदूर-किसान यह बात
छात्र-नवजवान होगा उसके साथ
जला दिए जायेंगे वे सारे दर्शन और ऋचाएं
खींचती हैं जो छोटे-बड़े की दारुण रेखाएं
लिखी जायेंगी तब नई संहिताएँ
स्वतंत्रता-समानता के भाव जो दर्शायें
(अधूरी)
(इमि/१३.१०.२०१४)
कुत्तों की तरह झुण्ड में शेर बने गीदड़ों
जन्म की अस्मिता से चिपके चमगादडों
जाति के जाल में फंसे बामन-ठाकुरों
किया था कल जिन औरतों का बलात्कार
उठा लिया है उनने आज हाथ में हथियार
हंसिया से काट देंगी बन्दूक थामे हाथ
होगा हिरावल दस्ता जब इनके साथ
खोजेगी वे बेलछी के हैवानों को
मिर्चपुर-बथानीटोला के शैतानों को
सुनो इंसानियत के दुश्मनों, लक्ष्मण-दुर्योधनों!
लड़कियों ने कॉफ़ी बनाना छोड़ दिया है
कलम को औजार ही नहीं हथियार बना लिया है
उट्ठेगा फिर से मुसहरी का किसान
मिटा देगा सामन्ती नाम-ओ-निशान
निकलेगा सड़कों पर छात्र-नवजवान
रख देगा जिस दिन मजदूर औज़ार
ठप हो जाएगा सरमाये का कारोबार
जनवाद की हरकारा बनेगी तब ग़ज़ल
राजकवियों की ख़त्म हो जायेगी फसल
गूंजेगे चहुँ ओर जंग-ए-आज़ादी के नारे
चमकेंगे भूमंडलीय क्षितिज में लाल सितारे
सुनो सरमाये के चाटुकारों पूंजी के गीतकारों
समझेगा जब दुनिया का मेहनतकश यह बात
मुल्कों की सरहदें हैं हुक्मरानों की खुराफात
तोड़ देगा वह देश-काल की सारी सरहदें
पार कर जाएगा धर्म-जाति-राष्ट्रवाद की हदें
सुनो गाजापट्टी के नरभक्षियों, नस्लवाद के उद्धारकों
दुनिया भर के बुशों-ब्लेयरों-मोदियों-शरीफों ध्यान से सुनो
तान देगा तब बन्दूक वह अपने ही हुक्मरानों पर
काबिज होगा भूमंडलीय पूंजी के सभी ठिकानों पर
सुनो अवतार-पैगम्बरों के नुमाइंदों मजहब के ठेकेदारों
अरस्तुओं-मनुओं-एडम स्मिथों गैरबराबरी के विचारकों
नहीं है कुदरत की विरासत गैरबराबरी
गढ़ती है इसे जतन से विद्वानों की बिरादरी
जान जाएगा जब मजदूर-किसान यह बात
छात्र-नवजवान होगा उसके साथ
जला दिए जायेंगे वे सारे दर्शन और ऋचाएं
खींचती हैं जो छोटे-बड़े की दारुण रेखाएं
लिखी जायेंगी तब नई संहिताएँ
स्वतंत्रता-समानता के भाव जो दर्शायें
(अधूरी)
(इमि/१३.१०.२०१४)
पूरी करिये
ReplyDeleteबहुत जरूरी है ।
जल्दी
Delete