Friday, October 3, 2014

फासीवाद 1

Sumant Bhattacharya कौन अापसे समर्थन या विरोध का अाग्रह कर रहा है या संविधान के प्रति अापकी अास्था  पर किसी ने प्रश्नचिन्ह लगाया? हम तो सब सरकारों का विरोध करते अा रहे हैं, सब चुनकर अाई थी. इंदिरा गांधी ने तो नो-अपील, नो-दलील वाले कानून बनाकर बंदे समेत कितनों को अंदर कर दिया था. मित्र, (अन्यथा न लेना) अाप इतिहास के विद्यार्थी होकर अनैतिहासिक तेवर के वक्तव्य दते रहते हैं. किसी सरकार का मूल्यांकन उसके इतिहास, उसकी वैचारिक समझ, नीतियों अौर कार्यक्रमों के अाधार पर होना चाहिये, अाप क्या सोचते हैं, इस अाधार पर नहीं न ही नेताअों की लफ्फाजी के अाधार पर.  बीते साढ़े 4 सौ सालों का इतिहास बताता है कि जब भी संवैधानिक पूंजीवाद पर गहरा संकट अाता है तो साम्राज्यवादी युद्ध या फासीवाद ही संकटमोचक बना है. पढ़े-लिेखे मध्यवर्ग में मुसोलिनी अौर हिटलर मोदी से ज्यादा लोकप्रिय थे. अपने को देश का पर्याय मान संस्कृति अौर बहू-बेटियों की रक्षा के ठेकेदार बन कहर ढाने में भी फासिस्ट अौर नाज़ी लंपट बजरंगियों से कम नहीं थे. अाज के अखबार में हिंदू जागरण मंच के विरोध के चलते मध्य प्रदेश की 1 वयस्क  लड़की को  पुलिस ने नारीनिकेतन भेज दिया अौर शादी अवैध घोषित कर उसके ईशाई पति से अलग कर दिया.

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