हंसी उडाना खुद की है साहस का काम
भले ही करें लोग कह दुस्साहसी बदनाम
करते जो लोग काम होता जो अपेक्षित
सद्गुणी कह लोग करते उन्हें उपेक्षित
उसूल-ए-हराम हो जब रईसी की बुनियाद
ईमान बन जाता है परिहास की बात
मगर सत्ता को आतंकित करता ईमान
आतंकवाद देती उसको वो नाम
लिखने बैठा था कविता आत्म-परिहास पर
खिसक गया कलम ईमान के आतंक पर
बने हों आतंकवाद पर जहां ढेरों कानून
खतरनाक होता है ईमानदारी का जूनून
(इमि/२१.१०.२०१४)
No comments:
Post a Comment