Thursday, October 16, 2014

जनवाद

इलाहाबाद विवि के एक ग्रुप में मेरी एक कविता पर जिसमें जनवाद का ज़िक्र नहीं था, एक सज्जन ने कमेन्ट किया कि  जनवाद एक फैसन है. उस पर मेरा कमेन्ट:

जी हाँ, एक इन्किलाबी फैसन है जनवाद 
यथास्थिति को खारिज करने का साहस है जनवाद 
गरीब-गुरबा का ज़ुल्म को जवाब है जनवाद 
इन्साफ की दुनिया का ख्वाब है जनवाद 
हालात से लड़ने का जज्ब़ात है जनवाद 
जोर-ज़ुल्म को ललकारने का नाम है जनवाद 
दुनिया के मजदूरों का इन्किलाब है जनवाद 
(इमि/१६.१०.२०१४)

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