Sunday, October 6, 2013

यादों की फितरत

यादों की है यही तो खास फितरत
जाकर भी नहीं जातीं
और लिखना पड़ता है
विदा गीत कई कई बार
और अंतिम नहीं हो पाता
अंतिम विदा गीत भी
 अब नहीं लिखूंगा
कोई और विदा गीत
आती जाती रहें उंमुक्त यादें
इसी बहाने घूम लेता हूं
अतीत के उपवनों और जंगलों में
[ईमि/06.10.2013]

पुनश्चः

यादें नहीं बेवफा इंसान होता है
यादें तो सनद हैं बेवफाई की
[ईमि/06.10.2013]

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