हुआ जब निजी सम्पत्ति का आगाज़
ऊँच-नीच के खेमों में बंट गया समाज
लड़ते थे आपस में आदिम कबीले भी
ज़िंदा दुश्मन का था कोई उपयोग नहीं
बढ़ा पशुपालन और खेती का काम-काज
धातु-ज्ञान से हुआ नये शिल्पों का आगाज़
ज़िंदा दुश्मन का श्रम तब आने लगा काम
दिया गया उनको ज़रृखरीद गुलाम का नाम
लिया जाने लगा उनसे जानवरों सा काम
शुरू हुआ मनुष्य के क्रूरतम शोषण का निज़ाम
दिया इतिहास ने उसे मानव सभ्यता का नाम
[ईमि/24.10.2013]
ऊँच-नीच के खेमों में बंट गया समाज
लड़ते थे आपस में आदिम कबीले भी
ज़िंदा दुश्मन का था कोई उपयोग नहीं
बढ़ा पशुपालन और खेती का काम-काज
धातु-ज्ञान से हुआ नये शिल्पों का आगाज़
ज़िंदा दुश्मन का श्रम तब आने लगा काम
दिया गया उनको ज़रृखरीद गुलाम का नाम
लिया जाने लगा उनसे जानवरों सा काम
शुरू हुआ मनुष्य के क्रूरतम शोषण का निज़ाम
दिया इतिहास ने उसे मानव सभ्यता का नाम
[ईमि/24.10.2013]
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