मित्र, मैनें कहां कहा कि रावण पित्रिसत्तात्मकता का विरोधी था. राम से बदला लेने के लिए, उनकी पत्नी का अपहरण बिल्कुल अनुचित था. मैंने तो दोनों की तुलना patriarchal paradigm मे ही किया है. उसने प्रणय-निवेदन ही किया, जोर-जबरदस्ती तो नहीं किया. एकाधिक पत्नी की बात रामायण में अपवाद नहीं है. राम के बाप की ही कई बीबियां थीं. बुढ़ापे में जवान बीबी की इच्छा ने ही दशरथ को केकेयी ने ब्लैंक चेक देने को वाध्य किया था. राम ने तो प्रणय निवेदन के "जुर्म में" उसकी बहन का अंग-भंग कर दिया और सद्गुण के प्रतीक बन गए और वह दुर्गुण का.आपकी बहन के साथ कोई जरा भी बद्तमीजी करे तो बदले में आप क्या करेंगे? रावण ने उनकी पत्नी का अपहरण किया लेकिन जैसा बाल्मीकि राम से कहलाते हैं, राम ने सीता के लिए नहीं रघुकुल की नाक के लिए उसका वध कर दिया. सीता को लांक्षित करने का क्या तुक था ? वही विचारधारा आज भी जारी है, बलात्कारी नहीं, बलकृत लांक्षित होती है. अपनी "पवित्रता" प्रमाणित करने के लिए अग्नि परीक्षा के बा्द भी गर्भवती करके छोड़ने का क्या तुक था? मुझे तो राम जैसे अनैतिक, मर्दवादी चरित्र के महिमामंडन का कोई तुक नहीं दिखता. Within patriarchal paradigm, the character of Ram is more condemnable than Ravan.
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