रवि शंकर जी, उज्जवल जी ने गोलवल्कर का ज़िक्र इसलिए किया कि जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक मौलाना मौदूदी से पहले नाज़ीवाद की खुली हिमायत करना वाला वह पहला इंसान है. मैंने 1986-87 में आरयसयस और जमात-ए-इस्लामी के एक शोध के सिलसिले में समान विचआर वाले दोनों के सारे लेखन और भाषण पढ़ा और ताज़्ज़ुब हुआ तथा जनमानस पर अफशोस हुआ कि गतने दकियानूसी जाहिलों के इतने अनुयायी? We And Our Nationhood Defined में वह यहूदियों के सफाये के लिये हिटलर का गुणगान करता है और हिंदुओं को उसका आदर्श का अनुशरण करने की हिमायत करता है. हिटलर की ही तरह दुशमनों की सूची तैयार करता है और नाज़ी पोशाक को संघ का गणवेश बनाता है. हिटलर के दुशमनः यहूदी, कम्युनिस्ट, इंगलैंड-फ्रांस. गोलवलकर के दुश्मनः मुसलमान, कम्युनिस्ट, अंग्रेज. इसीलिए आज़ादी की लड़ाई के दौरान वह प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप सेअंग्रेजों की दलाली करता रहा. (मौदूदी भी यही कर रहा था). जहालत की हद तो यह कि उसने उत्तरी ध्रुव को बिहार-उड़ीसा में स्थांतरित कर दिया. संघियों का मानना है कि आर्यों का मूल स्थान यहीं है, सेकिन तिलक के अनुार आर्य उत्तरी ध्रुव से आए थे और ये तिलक को भी "अपना" महापुरुष मानते हैं. इस दुविधा के जवाब में प.पू गुरू जी(गोलवलकर) ने भूविज्ञान का एक मौलिक सिदिधांत प3तिपादित किया कि बाकी चीजों की तरह उत्तरी ध्रुव भी चलायमान है और फ्राचीन काल में वह वहां था जिसे आज हम बिहार-उड़ीसा कहते हैं. आज इतना ही. Bunch of Thought and We and Our Nationhood Defined से इसके एक एक "विद्वतापूर्ण " उद्धरण देता रहूंगा.
रवि शंकर, मान्यवर, मार्क्सवा्द और साम्यवाद के बारे में अलग पोस्ट पर बहस कर लें.बहस कि़सी बात पर हो रही हो, बजरंगी किस्म के लंपटों की तरह (आपकी ही पोस्ट है) मुद्दे को भटकाने के लिए आप के सिर पर भी मार्क्सवाद को भूत सवार हो जाता है. मैंने तो नहीं कहा के मैं मार्क्सवादी हूँ या मार्क्सवाद की जानकारी रखता हूं. वैसे मार्क्सवाद पर आपके ज्ञान का स्रोत क्या है? लगता है आपने फासीवाद और मार्क्सवाद का तुलनात्मक अध्ययन किया हो तो प्रकाश डालें. जैसे ही तर्क की बात कहीं होती है, कठमुल्ले किस्म के लोगों के सिर पर मार्क्सवाद का भूत सवार हो जाता है और मार्क्सवाद का उनका ज्ञान अफवाहों तथा कही-सुनी बातों पर आधारित होता है. मार्क्सवाद एक हिंसामुक्त मानव मुक्ति के समाज-निर्माण के प्रति प्रतिबद्ध है. आपने फासीवाद पर पोस्ट डाला है, पहले उस पर बहस कर लीजिए. तर्क न हो तो दृष्टिदोष आदि गाली-गलौच पर उतर आते हैं संघी जाहिलों की तरह और सार्वजनिक समय और स्पेस बर्बाद करते हैं. अगर बहस का माद्दा नहीं है तो ऐसी पोस्ट क्यों डालते हैं? मार्क्सवाद पर अलग पोस्ट डालिए फिर उस पर बहस हो, लेकिन अफवाहों पर आधारित नहईं. कुछ पढ़ भी लें तो अच्छा विमर्श हो सकता है.
रवि शंकर, मान्यवर, मार्क्सवा्द और साम्यवाद के बारे में अलग पोस्ट पर बहस कर लें.बहस कि़सी बात पर हो रही हो, बजरंगी किस्म के लंपटों की तरह (आपकी ही पोस्ट है) मुद्दे को भटकाने के लिए आप के सिर पर भी मार्क्सवाद को भूत सवार हो जाता है. मैंने तो नहीं कहा के मैं मार्क्सवादी हूँ या मार्क्सवाद की जानकारी रखता हूं. वैसे मार्क्सवाद पर आपके ज्ञान का स्रोत क्या है? लगता है आपने फासीवाद और मार्क्सवाद का तुलनात्मक अध्ययन किया हो तो प्रकाश डालें. जैसे ही तर्क की बात कहीं होती है, कठमुल्ले किस्म के लोगों के सिर पर मार्क्सवाद का भूत सवार हो जाता है और मार्क्सवाद का उनका ज्ञान अफवाहों तथा कही-सुनी बातों पर आधारित होता है. मार्क्सवाद एक हिंसामुक्त मानव मुक्ति के समाज-निर्माण के प्रति प्रतिबद्ध है. आपने फासीवाद पर पोस्ट डाला है, पहले उस पर बहस कर लीजिए. तर्क न हो तो दृष्टिदोष आदि गाली-गलौच पर उतर आते हैं संघी जाहिलों की तरह और सार्वजनिक समय और स्पेस बर्बाद करते हैं. अगर बहस का माद्दा नहीं है तो ऐसी पोस्ट क्यों डालते हैं? मार्क्सवाद पर अलग पोस्ट डालिए फिर उस पर बहस हो, लेकिन अफवाहों पर आधारित नहईं. कुछ पढ़ भी लें तो अच्छा विमर्श हो सकता है.
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