वफ़ा
की किताब कर देती है सीमित
दिल-ओ-दिमाग
की यायावरी
को
खींचती
है दूर बाकी किताबों से
और तोड़
देती है विद्रोह के जज्बात
भली
हैं दो-चार सतरें
प्यार
और विश्वास की
प्रोत्साहित
हों जिनसे
पारदर्शी
पारस्पारिकता के भाव
और आज़ाद जज्बात साथ चलने के.
[ईमि/०५.१०.२०१३]
सादर नमन -
ReplyDeleteनवरात्रि की मंगल कामनाएं
thanks
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