Monday, October 21, 2013

सपनों कीखूबी

यही तो खूबी है सपनों की
कोई नहीं रोक सकता उन्हें
पहरा हो कितना भी कड़ा
खुद तय करते हैं
नियम और मुहूर्त
अपने आवागमन के
[ईमि/23.10.2013]

3 comments:

  1. haan ye toh hai..खाब कब सुनते हैं किसी की !

    ReplyDelete
  2. सपने देखना बंद होने से ज़िन्दगी रुक जाती है. पाश की एक कविता है, ".......सबसे बुरा है हमारे सपनो का मर जाना...."

    ReplyDelete