जन्नत की हकीकत तो
वाइज़ जाने या खुदा जाने
हमारा वास्ता तो है
इस खूबसूरत धरती से
दोजख़ बना दिया है
जिसे खुदा के कारिंदों ने
सरमाए के अनुचर मानिंदों
ने
बात नहीं है
गालिबाना अर्थों में बहलाने का दिल
छुट्टा घूम रहा है
नस्ल-ए-आदम का कातिल
[ईमि/०३.१०.२०१३]
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