Sunday, October 13, 2013

राम-विमर्श 1

लोग कहेंगे कि मैं " प्रगतिवादिता" के चक्कर में ऐसा कह रहा हूं, लेकिन रामचरित मानस के नायक-खलनायक की विवेचना उलटी लगती है. मुझे नैतिक रूप से राम का चरित्र सदा ही रावण की तुलना में तुच्छ लगता रहा है. राम पित्रिसत्तात्मक वर्णाश्रमी मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है तथा एक ऐसी संस्कृति का नायक है जिसमें महिलाएं मूल्यवान वस्तुएं हैं जिन्हे बाहुबल या अन्य किस्म के पुरुषार्थ से हासिल किया जाता है. जरा सोचिए, वेट-लिफ्टिंग  और अच्छे पति होने में क्या रिश्ता है? रावण एक अच्छा, ऱाजा रहा होगा, प्रजा सुखी रही होगी, तभी तो उसके राज्य को सोने की लंका कहा जाता था. वह एक ऐसी संस्कृति का प्रतिपादक था जिसमें महिलाएं प्रतिस्पर्धा की पुरस्कार से परे स्वतंत्र इंसान थीं कि वे भी प्रेम प्रस्ताव रख सकती थीं, यहां तक कि शक्तिमान राजा की बहन किसी वनवासी को भी प्रेम प्रस्ताव दे सकती थी. राम उसे खारिज़ करने की बजाय दोनों भाइयों के बीच फुटबाल की तरह शंचिंग करवाता है ऐर लक्षमण पुरुषार्थ का परिचय देते हुए उसकी नाक कान काट लेता है. रावण अपने माया ज्ञान के इस्तेमाल से उसकी बीबी का अपहरण करके फाइव स्टार गेस्ट हाउस में रखता है ओर प्यार से बिना जोर-जबरदस्ती के मनाने की कोशिस करता है. राम वानर आदिवासियों को अपनी तरफ लामबंद करने के लिए कायरों की तरह छिपकर बालि की हतिया कर देता है जिसना उसका कुछ नहीं बिगाड़ा था. "बांटो औकर राज करो" के घटिया सिद्धांत के तहत विभीषण जैसे गद्दार की मदद से रावण को मारकर मर्दवादी चरित्र का परिचय देते हुए सीता को कहता है कि उसका युद्ध उस जैसी औरत के लिए नहीं बल्कि रघुकुल की नाक के लिए थी, और अग्नि परीक्षा लियी ऐर घर्भवती करके किसी बहीने निर्वासित कर दिया. एक शूद्र की तपस्या से ब्रह्मांड हिल गया और राजा राम को उसकी हत्या करनी पड़ी. उस चरित्र में मुझे तो अच्छाइयों का कोई प्रतीक नहीं नज़र आता जो रावण जैसे विद्वान राजा को बुराइयों की जड़ मानकर उसे नष्ट करे?

Vinay pratapji, No one is blinded by ideology, one adheres to an ideology by conviction and rational considerations, as I have suspected  before that you must be a science student otherwise could not be so unscientific. That's a tragedy with science teaching. Those science students who can develop rational scientific temper also become likes of Plato; Russel or Einstein.   When ever I talk something pro-people or make a  rational  analysis, the specter of communism starts haunting you, you begin abusing Mao-Marx-Lenin and so on it does not hurt me as they are not my relatives or Gods as neither myself nor they believed in any God. And there is proverb that if youy spit at the sun it will fall on your own mouth. Instead of being irrationally abusive, it would have been really nice if you had counter my arguments about Ram, a character of an epic who represents patriarchal Brahmanism's values. रावण ने शौकियन दीसरे की बीबी का अपहरण नहीं किया था. कोई आपकी बहन की तरफ बुरी नज़र से देख ले, नीक कान काटने की बात छोड़िए, आप क्या करेंगे? बस चले तो गोली मार देंगे. लेकिन उस पराक्रमी, विद्वान सम्राट ने अपनी बहन की नाक कान काटने वाले की बीबी का अपहरण करके सारी सुविधाओं का साथ सम्मान से रखा, कभी बल प्रयोग नहीं किया. जैसा ऊपर की पोस्ट में कहा गया है कि अकारण, कायरों की तरह बालि की  हत्या करने वाले राम को विभीषण  जैसे गद्दार की मदद से ऱावण हत्या में क्या गुरेड होता. अगर भगवान वाला पहलू छोड़ दिया जाए तो, राम की तुलना में, नैतिक रूप से रावण का चरित्र ऊंचा है. अपने धार्मिक पूर्वाग्रहों के चलते हम बुराई के रूप  में बर्हर तरीके से रावण के प्रतीक का अंत करते हैं.

Ajay Bharti Goswamiव उस वक्त हिंदुस्तान था ही नहीं, अयोध्यावासी राम लंका के तटवर्ती इलाके में जंगल में पिकनिक मना रहे थे और विचरण करती सूर्पनखा के प्रणयनिवेदन करने पर अपने अनुचर भाई लक्षमण से उसके लाक कान कटवा लिया ऐर बदले में उसके फ्रतापी भाई ने उनकी पत्नी का एपहरण कर के 5स्टार गेस्ट हाउस में रखा. ऱाम पर सेक्सुअल हैरेसमेंट और ऱवण पर अपहरण का मुकदमा चलना चाहिए.

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