Friday, October 4, 2013

किताब-ए-दिल 5

होंगे हिसाब जब भी मिलन की खुशियों के
होगा लेखा-जोखा ग़म-ए-जुदाई का भी
लिखी जायेगी जब भी दिल की किताब
होगा ज़िक्र खुशी-ओ-ग़म का बराबर
[ईमि/05.10.2013]

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