वफा तो कभी सीखा ही नहीं
दूंगा मगर यारी को पूरा
सम्मान
बार बार काटता हूं राह
तेरी
देखता नहीं मगर हुस्न का
अभिमान
हा हा
[ईमि/October 26, 2013]
बात तो मैं जमाने की ही कर रहा था
ज़फा-ओ-वफा के विमर्श में
तुम्हारा ज़िक्र एक इत्तेफाक था
[ईमि/October 26, 2013]
No comments:
Post a Comment