आलू-टमाटर का दाम तो प्रतीकीत्मक है. ये कारपोरेटी दलाल 5 साल में देश बेंच देंगे, दिक्कत आई तो फिर दंगे करवा देंगे, मार देंगे कुछ हजार इंसान, जमींदोज़ कर देंगे सैकड़ों मकान और दुकान, सार्वजनिक सामूहिक बलात्कार आयोजित कर देंगे -- न देखेंगे बच्ची न बूढ़ी और मनायेंगे शौर्य दिवस हैवानियत के तांडव का और बन जायेंगे राष्ट्र-भक्त, दे देंगी क्लीन चिट बिकी हुई अदालतें, चल पड़ेंगी इंसानी शक्ल में भेंड़े पीछे-पीछे, क्लीनचिट-क्लीनचिट रटने लगेंगे तोते और फिर चुन लिए जायेंगे ये सरदार हैवानियत के जनतंत्र के. समझ में नहीं आता कि ये पढ़े-लिखे लोग जेहनी तौर पर जाहिल होते हैं या पढ़ाई-लिखाई इन्हें जाहिल बना देती है. मैं एक शिक्षक हूं.
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