दिख ही जाता है मुखौटा
और उसके पीछे छिपा असल चेहरा
सजग होते हैं जब विवेक-चक्षु
अच्छे लोग दिखते हैं वही जो होते हैं
नहीं खर्चते ऊर्जा
दिखने में वो जो वे नहीं होते हैं
और कहलाते हैं अक्सर शिष्टों में अशिष्ट
परवाह नहीं होती उन्हें इस ठप्पे की
भारी पड़ता है गुमां नेकी का
अशिष्टता की बदनामी पर
जो अच्छा होता है
वह जानता है अच्छाई का मूल मंत्र
कि अच्छा करने से अच्छा बनता है
करता जाता है अच्छा
और बनता जाता है और अच्छा
वैसे तो वे भी जानते हैं यह मूलमंत्र
जो अच्छे नहीं होते
और इसीलिए करते हैं कोशिस वह दिखने की
जो होते नहीं वे
लगाते जाते हैं मुखौटों पर मुखौटे
बुनते जाते हैं भेदों पर भेद
और फंसते जाते हैं खुद के बुने मकड़जाल में
लेकिन सक्षम है इंसान
तोड़ने में कोई भी मकड़जाल
खोज सकता है रेगिस्तान में मोती
और निकाल सकता है पत्थर से पानी
(ईमिः15.07.2014)
बढ़िया :)
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