Sunday, July 20, 2014

नारी विमर्श 4

Sudha Raje  बगावत के लिए लड़कियों का गिरोह नहींट  बल्कि जनपक्षीय नारी चेतना से लैस, लड़कियों का हिरावल दस्ता बनाना है जो नारीवादी प्रज्ञा और दावेदारी को अभियान को और पैना करके सांस्कृतिक संत्रास की निरंतरता से मर्दवादी बर्बरता और इसकी जड़ मर्दवादी विचारधारा को जलाकर खाक करदे.

उमा, मैं तुम्हारी भावनाओं और स्वाभाविक उत्तेजना की कद्र करता हूं, युवाओं में इसी उत्तेजना की कमी चिंता का विषय है. सार्वजनिक विमर्श में पॉलिमिक्स और रेटॉरिक्स की भी अपनी महत्ता है. मैं लगातार अच्छी औरत की मूर्तियां तोड़ने की गुहार लगाता रहता हूं और औरत को जिस्न सलधझने वाली मर्दवादी विचारधारा के दुर्ग पर सांस्कृतिक संत्रास की बमबारी की निरंतरता की हिमायत करता हूं. यहां मत जाओ ये न करो की वर्जनाओं की धज्जियां उड़ाओ क्योंकि ये सड़के-रातें आप की हैं, बलात्कारी नरपिशाचों के बाप की नहीं. मेरा सिर्फ आग्रह है कि वस्तुगत यथास्थिति को ऐतिहासिक  भौतिकवादी समझ से बदलने की जरूरत है. जनवादी जनचेतना. गर्व है तुम्हारी निडर अभिव्यक्ति पर. 

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